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संघ के शताब्दी वर्ष पर सारंगढ़ में भव्य पद संचलन, पूरा शहर हुआ भगवामयपढ़े पूरी खबर,,,

*हर गली में गूंजे जयघोष, सैकड़ों स्वयंसेवक एक साथ बढ़े कदमताल में*
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शनिवार को सारंगढ़ में ऐतिहासिक पद संचलन का आयोजन किया गया।
नगर की गलियां भगवा रंग में सराबोर दिखीं — हर मोड़ पर “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारे गूंजते रहे।
यह संचलन केवल एक शोभायात्रा नहीं, बल्कि अनुशासन, सेवा और राष्ट्रभावना का जीवंत प्रदर्शन बन गया।

शिशु मंदिर से निकला संचलन, 14 प्रमुख चौकों से गुजरा जत्था

शनिवार दोपहर ठीक 2 बजे शिशु मंदिर प्रांगण से संचलन का शुभारंभ हुआ।
सैकड़ों स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में, लाठी हाथ में लिए अनुशासनबद्ध पंक्तियों में निकले।
संचलन का मार्ग शहर के प्रमुख स्थलों से होकर गुजरा —
दुर्गा मंदिर, मछली पसरा गली, कलेक्टर चौक, भारत माता चौक, आज़ाद चौक, अग्रसेन चौक, सदर बाजार, नंद चौक, कचहरी चौक, देवघाट चौक, सम्राट चौक, छोटा मठ, बड़ा मठ और राजापारा।
संचलन का समापन अटल परिषद में हुआ, जहां बौद्धिक सत्र आयोजित किया गया।

हर चौक पर पुष्पवर्षा, जयघोष से गूंजा वातावरण*

जैसे-जैसे स्वयंसेवक आगे बढ़ते गए, नागरिकों ने घरों की छतों से पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया।
बच्चों ने हाथों में तिरंगा लेकर “भारत माता की जय” के नारे लगाए।
बाजारों में दुकानदारों ने संघ गीत बजाकर माहौल को और जोशीला बना दिया।
सदर बाजार से सम्राट चौक तक का रास्ता भगवा ध्वजों और राष्ट्रभावना से सजा नजर आया।

स्थानीय नागरिक विजय अग्रवाल ने कहा “ऐसा अनुशासन और एकरूपता पहले कभी नहीं देखी। आज गर्व महसूस हो रहा है कि हम सारंगढ़ में हैं।”

-“यह संचलन राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा” — डॉ. राजकुमार भारद्वाज**

अटल परिषद में हुए बौद्धिक सत्र में **रायगढ़ विभाग प्रचारक डॉ. राजकुमार भारद्वाज ने कहा —

संघ का शताब्दी वर्ष केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन और संकल्प का समय है। संघ की सौ वर्ष की यात्रा सेवा, संस्कार और संगठन की मिसाल है। यह संचलन राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा है।”

उन्होंने “पंच परिवर्तन” की अवधारणा पर बोलते हुए समाज, संस्कृति, शिक्षा, पर्यावरण और आर्थिक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संदेश दिया।

वरिष्ठ पदाधिकारियों की मौजूदगी से बढ़ा आयोजन का गौरव

इस अवसर पर नगर संचालक जुगल किशोर केशरवानी सहित कौशल किशोर बिहार, हेमचंद साहू, वीरेंद्र देही, मोहित भोई, जितेश जायसवाल (खंड प्रचारक), सतीश यादव, तुषार तिवारी, चिराग साहू, डॉ. आनंद प्रधान, अमित कुमार सारथी, अशिष केशवानी, अमित तिवारी, सूरज गुप्ता, दिलीप साहूऔर अविनाश चौहान* उपस्थित रहे।
सभी पदाधिकारियों ने स्वयंसेवकों को राष्ट्रसेवा की भावना से कार्य करने का आह्वान किया।

तपती दोपहर में भी नहीं टूटा उत्साह

तेज धूप और गर्मी के बावजूद स्वयंसेवक पूरे जोश और समर्पण के साथ संचलन में डटे रहे।
हर कदम पर एकरूपता और अनुशासन झलक रहा था।
घोषवाक्य “राष्ट्र ही देवता है” और “सेवा ही साधना है” से पूरा नगर देशभक्ति से ओतप्रोत दिखा।

समापन में गूंजा ‘वंदे मातरम्’, राष्ट्रगीत से झूम उठा परिषद परिसर

संचलन का समापन अटल परिषद पहुंचकर हुआ, जहां स्वयंसेवकों ने “वंदे मातरम्” और “संघ प्रार्थना” के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
सभा स्थल पर उपस्थित नागरिक भी भावुक होकर उद्घोष में शामिल हो गए।
पूरा परिसर राष्ट्रभावना से गूंज उठा।

नागरिक बोले — “अनुशासन और एकता की मिसाल है संघ”

कार्यक्रम के पश्चात नागरिकों ने कहा कि संघ का यह संचलन अनुशासन, एकता और संगठन की अद्भुत झलक था।
श्रीमती रेखा साहू ने कहा —

आज हमारे बच्चों ने देखा कि संगठन का अर्थ क्या होता है।संघ के स्वयंसेवक समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा हैं।”

संघ की सौ वर्षीय यात्रा — सेवा, संस्कार और समर्पण की परंपरा

1925 में डॉ. हेडगेवार द्वारा नागपुर में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100 वर्षों में सेवा, शिक्षा और समाज जागरण की मिसाल कायम की है।
सारंगढ़ में निकला यह पद संचलन उसी सौ वर्षीय परंपरा का प्रतीक बन गया।
हर स्वयंसेवक के कदम में था अनुशासन, हर मुख से गूंज रहा था राष्ट्रभक्ति का स्वर।

“संघ के कदमों की ताल पर झूम उठा सारंगढ़ — शहर ने देखा एकता, अनुशासन और समर्पण की मिसाल”

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