
बरमकेला। एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर ओडिशा के ग्रामीण छत्तीसगढ़ राज्य में शामिल होने की इच्छा जताते हैं, वहीं दूसरी ओर सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के कई गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यही वजह है कि जिले का एक गांव अब प्रशासनिक लापरवाही से तंग आकर ओडिशा में शामिल होने की बात कर रहा है।
भालूपानी गांव में सड़क का अभाव

बरमकेला विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत परधियापाली का आश्रित ग्राम भालूपानी आजादी के सात दशक बाद भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है। यहां के सैकड़ों ग्रामीण आज भी वाहन योग्य सड़क सुविधा के लिए तरस रहे हैं।
कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ता है मरीज

गांव की स्थिति इतनी बदतर है कि आपातकालीन स्थिति में मरीज को कंधे पर डंडे के सहारे या खाट पर उठाकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है। पगडंडी जैसी सड़कों पर आए दिन हादसों का खतरा बना रहता है।
पीठ पर बोझा ढोने को मजबूर लोग

पगडंडी सड़क
भालूपानी के लोग रोजमर्रा का सामान भी सड़क के अभाव में पीठ पर ढोने को विवश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन से लंबे समय से उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन अब तक सड़क उनकी दहलीज तक नहीं पहुंच पाई है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर सवाल

ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि चुनाव आते ही सभी दलों के प्रत्याशी सड़क को मुद्दा बनाते हैं और वादा करते हैं, लेकिन जीत के बाद कोई नेता पलटकर नहीं देखता। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर भी ग्रामीण सवाल उठाने लगे हैं।
बरमकेला जनपद सीईओ ने क्या कहा
सड़क संबंधी समस्या पर जब जनपद सीईओ श्री पटेल से दूरभाष पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा— “आपके माध्यम से मुझे जानकारी मिली है। मैं स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पंचायत कर्मियों से मामले का संज्ञान लेकर प्राथमिकता में रखने हेतु निर्देशित करूंगा।”
ग्रामीणों की जुबानी
- “हमारे गांव में बीमार होने का मतलब मौत के मुंह में जाने जैसा है। सड़क नहीं होने से मरीज को खाट पर उठाकर ले जाना पड़ता है।”




