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कुत्ते के काटने पर तुरंत कराएं इलाज, 28 सितंबर को पशु चिकित्सालयों में होगा रेबीज टीकाकरण शिविर, पढ़े पूरी खबर,,,

सारंगढ़-बिलाईगढ़। कुत्ते-बिल्ली के काटने, उनके लार या नाखून से होने वाली रेबीज बीमारी बेहद खतरनाक और जानलेवा है। समय पर इलाज और इंजेक्शन नहीं लगवाने पर यह बीमारी इंसान की जान तक ले सकती है। इसी गंभीर खतरे को देखते हुए जिले के पशु चिकित्सालयों में 28 सितंबर, विश्व रेबीज दिवस पर निशुल्क टीकाकरण शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

इंसान और जानवर दोनों के लिए खतरा

रेबीज एक ऐसा संक्रमण है जो केवल जानवरों तक सीमित नहीं है बल्कि सीधे मनुष्यों को भी अपनी चपेट में लेता है। यह वायरस संक्रमित पशुओं की लार के संपर्क में आने से शरीर में प्रवेश कर जाता है। अगस्त से अक्टूबर के बीच इसके सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कुत्ते या बिल्ली के काटने के बाद तुरंत इलाज न कराया जाए तो रेबीज का वायरस तेजी से फैलकर जानलेवा हो सकता है।

उप संचालक ने की अपील

उप संचालक पशुधन विकास विभाग डॉ. महेंद्र पांडेय ने जिले के पशुपालकों से अपील की है कि वे अपने पालतू कुत्तों और बिल्लियों को शिविर में अवश्य लाएं। उन्होंने कहा कि यह टीकाकरण पूरी तरह निशुल्क है और रविवार सुबह 7 से 12 बजे तक सारंगढ़, सरसीवां, बिलाईगढ़ समेत अन्य पशु चिकित्सालयों में उपलब्ध रहेगा।

डॉ. पांडेय ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य न केवल पालतू जानवरों की सुरक्षा करना है बल्कि इंसानों को भी संक्रमण से बचाना है। उन्होंने चेतावनी दी कि समय पर इलाज और टीकाकरण न होने से यह बीमारी पूरी तरह लाइलाज हो जाती है।

हर साल 5000 मौतें

आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 5 हजार लोग कुत्तों के काटने से रेबीज संक्रमण का शिकार होकर अपनी जान गंवा देते हैं। यही वजह है कि हर वर्ष 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके और समय रहते बीमारी से बचाव किया जा सके।

क्या करें और क्या न करें

विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि कुत्ते या बिल्ली के काटने पर सबसे पहले घाव को साबुन और स्वच्छ पानी से धोना चाहिए, इसके बाद तुरंत नजदीकी चिकित्सक से संपर्क कर इंजेक्शन लगवाना चाहिए। साथ ही पालतू पशुओं का समय-समय पर टीकाकरण कराना जरूरी है।

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