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खदान स्थापना का विरोध तेज, ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन पढ़े पूरी खबर,,,,

कृषि प्रधान इलाके में खदान बर्बाद करेगी भविष्य” – डॉ. हरिहर जायसवाल

“किसानों की जमीन किसी भी कीमत पर कंपनी को नहीं देंगे” – संजय पांडे

सारंगढ़ जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 08 के अंतर्गत आने वाले पाँच गाँव—लालाधुर्वा, धौराभांठा, सरसरा, जोगनीपाली और कपिस्दा के ग्रामीणों ने *ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड* द्वारा प्रस्तावित खदान व कंपनी स्थापना का कड़ा विरोध किया है। कंपनी लगभग 200.902 हेक्टेयर भूमि पर खदान स्थापित करना चाहती है। इसको लेकर ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए आगामी 24 सितंबर को होने वाली जनसुनवाई पर रोक लगाने की मांग की।

खेती-किसानी पर संकट की आशंका

ग्रामीणों का कहना है कि यह इलाका पूरी तरह खेती-किसानी पर आधारित है और यहाँ के अधिकांश लोग कृषि एवं पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते हैं।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि खदान खुलने से—

  • उपजाऊ भूमि बर्बाद होगी,
  • भूजल स्तर गिर जाएगा,
  • पेयजल संकट गहराएगा,
  • प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ेगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी अपने मुनाफे के लिए ग्रामीणों की रोज़ी-रोटी और पर्यावरण को खतरे में डाल रही है।

डॉ. हरिहर जायसवाल ने जताई चिंता

ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला पंचायत सदस्य एवं उद्योग सहकारिता सभापति डॉ. हरिहर जायसवाल ने कहा—
“यह इलाका पूरी तरह कृषि प्रधान है। यदि खदान स्थापित हुई तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान करते हुए खदान पर रोक लगानी चाहिए।”

संजय पांडे का बयान—किसानों की जमीन किसी भी कीमत पर कंपनी को नहीं देंगे

जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पांडे ने कहा कि पाँच पंचायत की भूमि अधिग्रहण को लेकर सरकार को आवेदन किया गया है। लेकिन इसका विरोध करने पूरी जनता, पंच और सरपंच कलेक्टर कार्यालय पहुंचे हैं। उन्होंने दो टूक कहा—
“किसानों की मर्जी के बिना उनकी जमीन किसी भी कीमत पर किसी कंपनी को नहीं दी जाएगी।”

ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में साफ लिखा है कि यदि बिना सहमति खदान को अनुमति दी गई तो हालात बिगड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ विस्थापन होगा बल्कि गाँव की शांति भी छिन जाएगी।

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि वह क्षेत्र में प्रस्तावित खदान को तत्काल निरस्त करे और 24 सितंबर को होने वाली जनसुनवाई पर रोक लगाए।

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