विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस दानसरा हाईस्कूल में विद्यार्थियों को दी गई जागरूकता क्लास

सीएमएचओ डॉ. एफ.आर. निराला ने आत्महत्या के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय बताए
सारंगढ़-
कलेक्टर डॉ. संजय कन्नौजे के निर्देशानुसार विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर शुक्रवार को दानसरा हाईस्कूल में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एफ.आर. निराला ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए आत्महत्या की गंभीरता, इसके कारण, लक्षण और रोकथाम के उपाय विस्तार से बताए।
आत्महत्या केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, सामाजिक चुनौती भी

डॉ. निराला ने कहा कि आत्महत्या का सीधा अर्थ है – स्वयं को मार लेना या जानबूझकर अपनी मृत्यु का कारण बनना। यह केवल व्यक्ति की निजी समस्या नहीं होती, बल्कि पूरा परिवार, समाज और समुदाय इससे प्रभावित होता है। जब एक छात्र या युवा आत्महत्या करता है तो उसके माता-पिता, भाई-बहन, शिक्षक और दोस्त जीवनभर उस पीड़ा से गुजरते रहते हैं।
किन कारणों से लोग आत्महत्या करते हैं?

कार्यक्रम में विद्यार्थियों को बताया गया कि आत्महत्या करने के कई कारण होते हैं।
- तनाव और अवसाद (डिप्रेशन): लंबे समय तक चलने वाला तनाव या निराशा इंसान को आत्महत्या की ओर धकेल सकता है।
- नशे की आदत: शराब, तंबाकू, चरस, अफीम और गांजा जैसी लत से ग्रस्त लोग अंततः आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।
- मानसिक रोग: सिज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्य मानसिक बीमारियाँ भी आत्महत्या का बड़ा कारण हैं।
- पारिवारिक व सामाजिक समस्या: घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह, रिश्तों में टूटन, समाज में अपमान या प्रताड़ना व्यक्ति को हताश कर देती है।
- आर्थिक व शैक्षणिक दबाव: बेरोज़गारी, कर्ज, व्यवसाय में घाटा और छात्रों में परीक्षा में असफलता आत्महत्या की बड़ी वजहें हैं।
लक्षणों से पहचानें आत्महत्या का खतरा

डॉ. निराला ने कहा कि यदि समय रहते आत्महत्या के संकेत पहचान लिए जाएँ तो जान बचाई जा सकती है।
- अकेलापन पसंद करना और सामाजिक मेलजोल से बचना
- खाने और सोने की आदतों में अचानक बदलाव
- जीवन से निराशा और बार-बार मरने की बातें करना
- पढ़ाई या काम में रुचि कम होना
- अपने बारे में झूठ बोलना और लगातार चिड़चिड़ापन
उन्होंने कहा कि ऐसे लक्षण दिखने पर परिजन, शिक्षक और मित्रों को तुरंत उसकी मदद करनी चाहिए और काउंसलिंग का सहारा लेना चाहिए।
स्कूलों-कॉलेजों में चल रहा जागरूकता अभियान
कलेक्टर के निर्देश पर जिले में 10 से 16 सितंबर तक आत्महत्या रोकथाम सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान स्कूलों और कॉलेजों में विशेष क्लासेस, व्याख्यान और काउंसलिंग सत्र रखे जा रहे हैं। इसका उद्देश्य है कि विद्यार्थी नकारात्मक सोच से बचें और मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या जैसा कदम न उठाएँ।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट
डॉ. निराला ने विद्यार्थियों को बताया कि आत्महत्या के मामले केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का विषय हैं।
- वर्ष 2021 में पूरी दुनिया में 7.03 लाख लोग आत्महत्या कर चुके।
- भारत में यही संख्या 1,64,033 रही।
- यानी हमारे देश में प्रति दिन 450 आत्महत्याएँ, प्रति घंटे 18 और हर 3 मिनट में एक आत्महत्या हो रही है।
- आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है।
- 38% लोग जहर खाकर, 32% लोग फांसी लगाकर और बाकी लोग आगजनी, पानी में डूबने या अन्य तरीकों से आत्महत्या करते हैं।
डॉक्टर और विशेषज्ञ की मदद लें
डॉ. निराला ने अपील की कि आत्महत्या जैसे विचार आने पर व्यक्ति को कभी अकेला न छोड़ा जाए। उसे तुरंत परिवार, शिक्षक या किसी काउंसलर से बात करने के लिए प्रेरित करें। जिले में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के लिए जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. नरेंद्र रात्रे से संपर्क किया जा सकता है।
📞 हेल्पलाइन नंबर — 9098027817
आत्महत्या रोकथाम के 5 उपाय
- तनाव या अवसाद महसूस होने पर तुरंत किसी से बात करें।
- नशे से पूरी तरह दूरी बनाएँ।
- सकारात्मक किताबें पढ़ें, संगीत व खेलों में मन लगाएँ।
- परिवार व दोस्तों से जुड़े रहें, अकेलेपन से बचें।
- जरूरत पड़ने पर तुरंत डॉक्टर या हेल्पलाइन से संपर्क करें।
आत्महत्या अब अपराध नहीं
पहले आत्महत्या करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 के तहत अपराध था, लेकिन अब इसमें संशोधन किया गया है। आत्महत्या को अपराध नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या माना जाता है।
समाज की ज़िम्मेदारी
डॉ. निराला ने अंत में कहा कि आत्महत्या रोकथाम केवल सरकार या डॉक्टरों का काम नहीं है। परिवार, शिक्षक, दोस्त और समाज का हर व्यक्ति इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। यदि हम समय पर संवेदनशील बनें और मदद का हाथ बढ़ाएँ तो कई जिंदगियाँ बचाई जा सकती हैं।




